Thursday, September 6, 2012

शिव में लीन रही बाबा नगरी

वाराणसी। काशी, बाबा विश्वनाथ और गंगे., देवाधिदेव महादेव की नगरी में सावन के अंतिम सोमवार को चहुंओर बस यही तीन शब्द निनादित थे। कहीं पवित्र मंत्रों के रूप में तो कहीं गीतों व भजनों में गूंथे। अनुष्ठानिक तंत्र तो स्मरण भी इनका ही। मौका था बाबा भोलेनाथ के मनभावन माह सावन के अंतिम सोमवार का। इस तिथि पर बाबा का दरस-अभिषेक कर पुण्य कमाने को विश्वेश्वर महादेव से लेकर केदारेश्वर तक और मृत्युंजयेश्वर से कर्दमेश्वर तक के दरबार तक आस्था का सागर हिलोरे ले रहा था। हजारों हजार की भीड, श्रद्धा से लबालब मन का कलश उलीचने। यह भाव नारों-जयकारों की शक्ल में देर रात तक टोले मुहल्लों को गुंजाता रहा। सावन -सोमवार और त्रयोदशी के एक साथ अनूठे संयोग में लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई और दर्शन-पूजन कर पुण्य लाभ बटोरा।

काशी विश्वनाथ मंदिर का भोर में मंगला आरती के बाद पट खुलते ही उनके उत्साह का पारावार न था। सुबह 11 बजे भोग आरती से पहले ही एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन- अभिषेक कर लिए। शाम सात बजे तक यह आंकडा 2.30 लाख तक पहुंच गई। हालांकि इसके बाद भीड में कमी आई, काशी विश्वनाथ मंदिर नियंत्रण कक्ष के अनुसार रात 11 बजे तक 2.50 लाख ने दर्शन पूजन किया।

केशरिया वस्त्रधारी कांवरियों का उत्साह तो चरम पर था। इसका अंदाजा कतारबद्ध श्रद्धालुओं के देख कर स्पष्टत: लगाया जा सकता था। सभी की जुबां पर-बोल बम का नारा, ऊं नम: शिवाय का मंत्र और हर हर महादेव का घोष।

हर हर महादेव का उद्घोष गुंजाते, बाबा की जयकार लगाते और उनके ही भजन गाते लोगों ने रात काट दी। बीएचयू विश्वनाथ मंदिर, दारानगर में महामृत्युंजय महादेव मंदिर, कर्दमेश्वर महादेव, वनखंडी महादेव, तिलभांडेश्वर महादेव, गौरीकेदारेश्वर, तिलभांडेश्वर महादेव, त्रिलोचन महादेव, ओंकारेश्वर महादेव, जागेश्वर मंदिर, सारनाथ स्थित सारंगनाथ महादेव मंदिर, अस्सी स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, अर्दली बाजार के महाबीर मंदिर, राजादरवाजा स्थित भारभूतेश्वर महादेव, मछोदरी स्थित कामेश्वर महादेव, गौरीगभीस्तश्वर महादेव, तिलेश्वर महादेव समेत अन्य शिवालयों में जलाभिषेक को सुबह से रात तक भक्तों की भीड रही।

मार्कडेय महादेव- चौबेपुर कैथी स्थित मार्कडेय महादेव मंदिर में जलाभिषेक करने वालों की भीड रविवार की मध्यरात्रि से ही उमड पडी थी।

रामेश्वर महादेव- हरहुआ के रामेश्वर तीर्थ में दर्शन पूजन के लिए मुंह अंधेरे से ही श्रद्धालुओं का रेला उमडने लगा था।


Sunday, September 5, 2010